जानिए आपके राशि के स्वामी कोन है और कैसे करें उनकी उपासना ?

 *Rashi Swami Grah* ( बारह राशियों के अनुसार उनके स्वामी ग्रह)


by Abhay Mishra

12 राशियों के अनुसार उनके स्वामी ग्रह कौन-कौन से है ?
ज्योतिष के अनुसार 12 राशियों और 9 ग्रहों का वर्णन मिलता है | ये सभी 12 राशियाँ इन सभी 9 ग्रहों के द्वारा ही संचालित होती है | यानि प्रत्येक राशि किसी न किसी गृह के अधीन होती है | जिसमें से सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रहों को 2-2 राशियाँ मिलती है | यानि सूर्य और चंद्रमा केवल एक-एक राशि के स्वामी है व अन्य सभी गृह दो – दो राशियों के स्वामी है( बारह राशियों के स्वामी ग्रह )| आइये जानते है कौन सी राशि किस गृह को संबोधित करती है : –

{ बारह राशियों के स्वामी ग्रह }

1. मेष राशि : मेष राशी का स्वामी गृह मंगल है | मंगलवार के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा करने से, मंगलवार को शिवलिंग पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है |

2. वृषभ राशि : वृषभ राशी के स्वामी गृह शुक्र गृह है | शुक्र देव को असुरों का गुरु माना गया है | इनकी आराधना के लिए आप शुक्रवार के दिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करें | घर में पूजा के समय ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः इस मंत्र के अधिक से अधिक जप करने चाहिए ।

3. मिथुन राशि : मिथुन राशी के स्वामी गृह बुध गृह है | बुध को प्रसन्न करने के लिए हर बुधवार गाय को हरी घास खिलाना चाहिए। बुध को गणेश जी का दिन भी माना गया है | गणेश जी दूर्वा अर्पित करें व इस दिन उनकी पूजा करें |

4. कर्क राशि  : कर्क राशि के स्वामी गृह चन्द्र देव है | चन्द्र देव का प्रिय दिन सोमवार है इसलिए चन्द्र देव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन शिवलिंग पूजा करना विशेष रूप से फल प्रदान करने वाला है |

5. सिंह राशी :  सिंह राशि के स्वामी गृह सूर्य देव है | सूर्य देव की पूजा करें | सूर्य देव को अर्ध्य ( जल अर्पित) दे |

6. कन्या राशी : कन्या राशी के स्वामी बुध गृह है | बुध को प्रसन्न करने के लिए हर बुधवार गाय को हरी घास खिलाना चाहिए। बुध को गणेश जी का दिन भी माना गया है | गणेश जी दूर्वा अर्पित करें व इस दिन उनकी पूजा करें |

7. तुला राशि : तुला राशि के स्वामी गृह शुक्र गृह है |  शुक्र देव को असुरों का गुरु माना गया है | इनकी आराधना के लिए आप शुक्रवार के दिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करें | घर में पूजा के समय ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः इस मंत्र के अधिक से अधिक जप करने चाहिए ।

8. वृश्चिक राशि : वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल गृह है |  मंगलवार के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा करने से, मंगलवार को शिवलिंग पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है |

9. धनु राशि : धनु राशि के स्वामी गृह ब्रहस्पति है | इस राशी के लोग गुरु बृहस्पति की विशेष आराधना करें। गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए हर गुरुवार साबूत हल्दी का दान करें। साथ ही, पीले रंग के अन्न का दान भी कर सकते हैं, जैसे चने की दाल। शिवजी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।

10. मकर राशि : मकर राशि के स्वामी शनि देव है | शनिवार के दिन शानिमंदिर जाए | शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं | हनुमान जी की पूजा करें |

11. कुम्भ राशि : कुम्भ राशि के स्वामी शनि गृह है | शनि देव की पूजा करें | शनि मंदिर जाए और साथ ही हनुमान जी की भी पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते है |

12. मीन राशि : मीन राशी के स्वामी गृह ब्रहस्पति है | गुरुवार के दिन अधिक से अधिक दान कर्म आदि करें( बारह राशियों के स्वामी ग्रह) | गुरु देव की उपासना करें |

ग्रहमित्रशत्रु
सूर्यचन्द्र, मंगल, गुरूशनि, शुक्र
चन्द्रमासूर्य, बुधकोई नहीं
मंगलसूर्य, चन्द्र, गुरूबुध
बुधसूर्य, शुक्रचंद्र
गुरूसुर्य, चंन्‍द्र, मंगलशुक्र, बुध
शुक्रशनि, बुधशेष ग्रह
शनिबुध, शुक्रशेष ग्रह
राहु, केतुशुक्र, शनिसूर्य, चन्‍द्र, मंगल


मेष राशि -
चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
वृषभ राशि -
ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
मिथुन राशि -
का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
कर्क राशि -
ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
सिंह राशि -
मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
कन्या राशि -
ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
तुला राशि -
रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
वृश्चिक राशि -
तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
धनु राशि -
ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
मकर राशि -
भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
कुंभ राशि -
गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
मीन राशि -
दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची

जन्म कुंडली के आधार पर विस्तृत बारह घर की जानकारी पर अवश्य ध्यान दें !

{ बारह भावों (Houses) से विचारित विषय }

• पहला भाव (1st house)

पहले भाव को ही लग्न कहा जाता है | जन्म कुंडली में सबसे पहले बालक या बालिका की जन्म तिथि , जन्म समय और जन्म स्थान के अक्षांश –रेखांश के  आधार पर  विशेष गणितीय  प्रक्रिया से लग्न  स्पष्ट किया जाता है | लग्न में स्थित राशि के स्वामी को लग्नेश कहा जाता है | लग्न से आकृति,कद, आयु,वर्ण,शारीरिक स्वास्थ्य, सिर पीड़ा,गुण स्वभाव, सिर, चरित्र, बाल्यावस्था, सुख-दुःख, दादी, नाना आदि का विचार किया जाता है |

• दूसरा भाव (2nd house)

दूसरे भाव को धन भाव कहा जाता है जिसमें  स्थित राशि के स्वामी को धनेश कहा जाता है |धन भाव  से धन ,चल संपत्ति ,वाणी,मुख ,चेहरा,पारिवारिक सुख,खान –पान ,स्वर्णादि धातुएं, नेत्र, आभूषण, संतान का व्यवसाय, क्रय-विक्रय आदि  का विचार किया जाता है |

• तीसरा भाव (3rd house)

तीसरे भाव को पराक्रम कहा जाता है जिस में स्थित राशि के स्वामी को तृतीयेश या सह्जेश  कहा जाता है| इस भाव  से साहस,धैर्य, छोटे भाई-बहिन, कान, बाजू, गले एवम  श्वास  के रोग, हाथ, शुभाशुभ समाचार, पति/पत्नी का भाग्य, पिता की बीमारी अथवा शत्रु आदि का विचार किया जाता है |

• चौथा भाव (4th house)

चौथे भाव को सुख  कहा जाता है जिस में स्थित राशि के स्वामी को चतुर्थेश या सुखेश  कहा जाता है | इस भाव से माता ,सुख, अचल, संपत्ति, छाती, हृदय, फेफड़े, वाहन, जल, जनप्रियता, मन, श्वसुर, मनोरथ, खेत, बाग़, मित्र, सम्बन्धी आदि का विचार किया जाता है |

• पांचवां भाव ( 5th house)

पांचवें भाव को सुत तथा धी कहा गया है जिस में स्थित राशि के स्वामी को पंचमेश या सुतेश कहा जाता है|इस भाव  से संतान, बुद्धि, योग्यता, शिक्षा, इष्ट देवता, लाटरी, जिगर, उदर ,लेखन, प्रबंध, पिता की आयु, पत्नी की आय इत्यादि का विचार किया जाता है |

• छटा भाव ( 6th house)

छ्टे भाव को शत्रु कहा गया  है जिस  में स्थित राशि के स्वामी को षष्टेश या रोगेश  कहा जाता है| इस भाव से रोग, शत्रु, मामा, मौसी, चोट, मुकद्दम, अंग-भंग ,जेलयात्रा ,ऋण ,कमर, आंत आदि का विचार किया जाता है |

• सातवाँ भाव ( 7th house)

सातवें भाव को काम कहा गया है जिस में स्थित राशि के स्वामी को सप्तमेश या कामेश  कहा जाता है| इस भाव से काम सुख, विवाह, दाम्पत्य जीवन, यात्रा, व्यापार, पति अथवा पत्नी, साझेदारी,  मूत्राशय, पुरुष और स्त्री के प्रजनन अंग इत्यादि का विचार किया जाता है |

• आठवाँ भाव ( 8th house)

आठवें भाव को मृत्यु  कहा गया है जिसमें स्थित राशि के स्वामी को अष्टमेश या रंध्रेश कहा गया है | इस भाव से आयु ,मृत्यु, मृत्यु का कारण, गुदा, दुर्घटना, गुप्त धन, दीर्घकालिक रोग, वसीयत-बीमा, जीवन साथी का धन तथा वाणी  आदि का विचार किया जाता है |

• नवां भाव ( 9th house)

नवेँ भाव को धर्म और  भाग्य कहा गया है जिसमें स्थित राशि के स्वामी को नवमेश या भाग्येश कहा जाता है |इस भाव से धर्म, भाग्य, पुण्य, तीर्थ यात्रा, आध्यात्म ज्ञान, गुरु, जांघ, साला या साली, पौत्र या पौत्री आदि का विचार किया जाता है |

• दशम भाव ( 10th house)

दसवें भाव को  पिता ,कर्म और राज्य कहा गया है  जिसमें स्थित राशि के स्वामी को दशमेश, राज्येश, कर्मेश कहा जाता है | इस भाव से कर्म,व्यवसाय, व्यापार, यश-मान, सफलता-असफलता, पिता, राज्य, सरकार, सरकारी नौकरी, पदवी, राज्य पारितोषक, विदेश यात्रा, हवाई यात्रा ,अधिकार, राजनीति, घुटना आदि का विचार किया जाता है |

• ग्यारहवां भाव ( 11th house)

ग्यारहवें भाव को आय ,लाभ कहा गया है जिसमें स्थित राशि के स्वामी को एकादशेश ,लाभेश या आयेश कहा जाता है | इस भाव से  व्यवसाय से होने वाली आय, लाभ, सुख ऐश्वर्य के साधन, पिता और राज्य से मिलने वाला धन, पुत्रवधू और  दामाद, घुटने से पैर तक टांग का भाग, कान आदि का विचार किया जाता है |

• बारहवां भाव ( 12th house)

बारहवें भाव को व्यय तथा हानि कहा गया है जिसमें स्थित राशि के स्वामी  को द्वादशेश तथा व्ययेश कहा जाता है |इस भाव से सभी प्रकार के व्यय, हानि, प्रवास, पतन, निद्रा, राजदंड, परदेश गमन, भोग, मोक्ष, बायाँ नेत्र,  पैर, चाचा- बुआ ,पुत्र या पुत्री की आयु, पति –पत्नी के  रोग आदि का विचार किया जाता है |